रूद्राक्ष

एक मुखी रूद्राक्ष

भगवान शिव ने समस्त लोगों के कल्याण के लिए अपने नेत्रों से आंसू के रूप में रुद्राक्ष उत्पन्न किए चूँकि भगवान शिव कल्याण करने वाले देवता हैं इसलिए उनकी आँख से प्रथम आंसू गिरते ही एक मुखी रुद्राक्ष उत्पन्न हुए इसलिए एक मुखी रुद्राक्ष को सबसे महत्वपूर्ण और कल्याणकारी रुद्राक्ष माना गया है | एक मखी को साक्षात भगवान शिव का स्वरुप माना गया है और इस ब्रह्माण्ड की कल्याणकारी वस्तुओं में एक मुखी रुद्राक्ष पहले नंबर पर आता है | एक मुखी दो प्रकार के दाने इस धरती पर पाए गए हैं | एक गोल आकार में है और दूसरा काजू के आकार में है लेकिन जो इसमें नेपाल का गोल दाना है उसीको असली एक मुखी और कल्याणकारी रुद्राक्ष माना गया है | एक मुखी रुद्राक्ष के लाभ एक मुखी रुद्राक्ष धारण करने मात्र से ही गंभीर पापों से मुक्ति मिलकर, मन शांत होकर, इन्द्रियां वश में होकर व्यक्ति ब्रह्म ज्ञान की प्राप्ति की तरफ अग्रसर हो जाता है | शरीर में हाई BP इसके धारण करने से धीरे धीरे नियंत्रित होने लगता है और कम दवाई से ही BP शांत रहता है | सभी रुद्राक्षों में एक मुखी रुद्राक्ष को सर्वोत्तम स्थान दिया गया है | इसके धारण करने से शत्रुओं के षड़यंत्र से बचा जा सकता है और भक्ति, मुक्ति, युक्ति एवं धन लक्ष्मी की प्राप्ति में भी यह रुद्राक्ष सहायक है | एक मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र वैसे तो एक मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र “ॐ ह्रीं नमः” है लेकिन शिव का पंचाक्षर बीज मंत्र “ॐ नमः शिवाय” से भी कोई भी रुद्राक्ष धारण किया जा सकता है | इस रुद्राक्ष को धारण करने के पश्चात् नित्य प्रति “ॐ नमः शिवाय” की पाँच माला जाप करने भर से इसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है |

दो मुखी रूद्राक्ष

दो मुखी रुद्राक्ष सीधे सीधे भगवान शिव और माँ पारवती का स्वरुप है | इसे अर्धनारीश्वर का स्वरुप भी कहा गया है | इस रुद्राक्ष को धारण करने से शिव और शक्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है | वैसे तो इस रुद्राक्ष की उत्पति नेपाल, इंडोनेशिया व् भारत में कई स्थानों पर होती है लेकिन नेपाल का दो मुखी रुद्राक्ष सबसे श्रेष्ठ माना गया है | दो मुखी रुद्राक्ष के लाभ इसके धारक का क्षेत्र में सम्मान बढ़ता है, रूप, सौंदर्य अवं वाक्शक्ति की वृद्धि करता है | पति पत्नी के आपसी मतभेदों को कम करके ग्रहस्थ सुख की बढ़ोतरी करता है | इसके धारण से भूत प्रेत की बाधा भी दूर होती है और सभी प्रकार की इच्छाएँ धीरे धीरे पूर्ण होने की ओर बढ़ने लगती हैं | दो मुखी रुद्राक्ष का धारक महाशिवपुराण के अनुसार ब्रह्म हत्या एवं गाए हत्या के पाप से भी मुक्त हो सकता है | दो मुखी रुद्राक्ष भगवान चन्द्र देव के अधिकार क्षेत्र में आता है | इसके धारण करने से मन में चन्द्रमा की चांदनी जैसी शीतलता प्रदान होती है | मनुष्य ने जीवन में कई प्रकार के अगर पाप भी किए हों और अंतिम अवस्था में अगर दो मुखी रुद्राक्ष धारण किया हो तो जीवन में पापी होने के बावजूद मरणोपरांत स्वर्ग की प्राप्ति होती है इसलिए हर जन को अर्धनारीश्वर स्वरुप भगवान शिव और शक्ति के आशीर्वाद के रूप में नेपाली दो मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए | दो मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र दो मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र “ॐ नमः”, “ॐ नमः शिवाय” और “ॐ नमः दुर्गाए” है | “ॐ अर्ध्नारिश्वराए नमः” इस सर्वश्रेष्ठ मंत्र को अगर 5 माला रोज़ कर लिया जाए तो शिव और माँ पारवती की विशेष कृपा होने लग जाती है |

तीन मुखी रूद्राक्ष

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तीन मुखी रुद्राक्ष को अग्नि देव का स्वरुप माना गया है | जिस प्रकार अग्नि स्वर्ण को भी शुद्ध कर देती है उसी प्रकार अग्नि का स्वरुप होने के कारण यह रुद्राक्ष शरीर को शुद्ध करने में सहायक होता है | तीन मुखी रुद्राक्ष के लाभ जिस व्यक्ति का मन किसी काम में ना लगता हो या जीवन जीने का आनन्द समाप्त हो चुका हो, शरीर किसी न किसी प्रकार के बुखार से पीड़ित रहता हो, भोजन खाने पर पेट की अग्नि मंद होने के कारण से भोजन के ना पचने के रोग में यह रुद्राक्ष अत्यधिक लाभदायक साबित होता है | अग्नि को तीव्र करके पाचक क्षमता बढ़ने से चेहरा पे तेज एवं शौर्य एवं बल की प्राप्ति कराता है | सभी प्रकार की आपदाओं से मुक्त कराने में तीन मुखी रुद्राक्ष अच्छा काम करता है | नौकरी करने वाले और पेट से सम्बंधित कष्ट पाने वालों के लिए यह रुद्राक्ष अत्यंत लाभदायक है | ग्रंथों के अनुसार तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करने से नारी हत्या के पाप से भी मुक्ति मिलनी संभव हो सकती है | तीन मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र वैसे तो तीन मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र “ॐ क्लीम नमः” है लेकिन तीन या पांच माला “ॐ नमः शिवाय” की जपने से यह रुद्राक्ष पूर्ण प्रभाव व्यक्ति को दिखाते हुए, शुद्ध एवं सात्विक करके एैश्वर्य की वृद्धि कराता है इसलिए हर जन को अग्नि देव के स्वरुप तीन मुखी रुद्राक्ष को धारण करके अपना कल्याण करना चाहिए |

चार मुखी रूद्राक्ष

चार मुखी रुद्राक्ष सीधे रूप से ब्रह्मा जी का स्वरुप है | इस रुद्राक्ष को ह्रदय प्रदेश से स्पर्श होते ही मनुष्य का मन धार्मिक हो जाता है और कई प्रकार के आर्थिक लाभ प्राप्त कर सकता है | चार मुखी रुद्राक्ष के लाभ चार मुखी रुद्राक्ष संतान प्राप्ति में भी सहायता करता है | महाशिवपुराण के अनुसार चार मुखी रुद्राक्ष लम्बे समय तक धारण किया जाए और भगवान शिव के बीज मंत्र का पाठ किया जाए तो किसी जीव की हत्या के पाप से भी मुक्ति मिल सकती है | इस रुद्राक्ष के धारण करने से मन की एकाग्रता बढती है और कई प्रकार के अनुसन्धान एवं विज्ञान से सम्बंधित कार्यों में सफलता प्राप्त होने की उम्मीद रहती है | वेदों के व् धार्मिक ग्रंथों के अध्यन में इस रुद्राक्ष के धारण करने से सफलता प्राप्त होती है | वाणी में मिठास और दूसरों को अपना बनाने की कला व्यक्ति के अन्दर उत्पन होती है | शरीर के रोगों को दूर भगाने में भी यह रुद्राक्ष लाभकारी माना गया है | मोक्ष सहित चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति इस रुद्राक्ष के धारण करने से हो जाती है | ज्योतिष की दृष्टि से बुद्ध ग्रह को इसका कारक माना गया है इसलिए लेखकों को व् विद्धया अध्यन करने वाले बालकों को इसे अवश्य धारण करना चाहिए | बुद्धि को तीव्र करता है और जीवन को श्रेष्ठ बनाने में सहायक होता है | चार मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र चार मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र “ॐ ह्रीं नमः” लिखा गया है लेकिन “ॐ नमः शिवाय” के जाप से भी इसे धारण करके सम्बंधित लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं |

पंच मुखी रूद्राक्ष

कालाग्नि रूद्र के रूप में पांच मुखी रुद्राक्ष को इस ब्रह्माण्ड में स्थापित किया गया है | पञ्च देवों की कृपा से परिपूर्ण यह रुद्राक्ष पञ्च तत्वों के दोषों का नाश करने में सहायक होता है | शिव के उपासकों को पांच मुखी रुद्राक्ष की माला अवश्य धारण करनी चाहिए | पञ्च देवों की कृपा होने के कारण से यह माला भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है | पांच मुखी रुद्राक्ष के लाभ मन के रोगों को दूर करके मानसिक तौर पर स्वस्थ करने में यह रुद्राक्ष अति उत्तम फल प्रदान करता है | बढती आयु में जब समृधि का नाश होने लगता है और व्यक्ति अपने अर्जित ज्ञान को भूलने लगता है उस समय पांच मुखी रुद्राक्ष की माला को धारण करने मात्र से सभी परेशानियों में सफलता मिलनी प्रारंभ हो जाती है | महाशिवपुराण में तो अकाल मृत्यु से बचने के लिए इस माला पर महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करने से अल्प मृत्यु से बचा जा सकता है | गलत जगहों पर जाने और गलत भोजन करने से प्राप्त हुए पापों को भी यह रुद्राक्ष माला कम करती है | इसका धारक भगवान शिव के गुण एवं धर्मों को प्राप्त कर सकता है | ब्रहस्पति देव पांच मुखी रुद्राक्ष का प्रतिनिधित्व करते हैं इसलिए इसको धारण करने से ब्रहस्पति देव की कृपा भी प्राप्त होती है | नौकरी व्यवसाय में सफलता व् गृहस्थ सुख में भगवान ब्रहस्पति की कृपा से इस माला को धारण करने पर यह सभी लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं | पांच मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र यह अकेला रुद्राक्ष एैसा है जिसपे भगवान शिव के साथ भगवान विष्णु, भगवान गणेश, सूर्य भगवान व् शक्ति की प्रतीक माँ भगवती की असीम कृपा होती है इसलिए पांच मुखी रुद्राक्ष के कम से कम तीन दाने या पांच दाने या 108 दाने की माला अवश्य धारण करनी चाहिए |

छह मुखी रूद्राक्ष

छह मुखी रुद्राक्ष भगवान शिव के पुत्र कार्तिके का स्वरुप माना गया है | ज्योतिष की दृष्टि से इस रुद्राक्ष पर शुक्र देव का प्रभाव माना गया है | महाशिवपुराण के अनुसार ब्रह्म हत्या आदि के पापों से मुक्ति प्रदान करने में यह रुद्राक्ष सहायक सिद्ध होता है | छह मुखी रुद्राक्ष के लाभ छह मुखी रुद्राक्ष धारण करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है, बुद्धि तीव्र होती है, शरीर को रोग मुक्त करने में सहायक होता है और धन प्राप्ति भी करवाता है | यह रुद्राक्ष विशेष कर पढने वाले बालकों को दाई भुजा में धारण करना चाहिए | इस रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति में नेत्रित्व करने का गुण आ जाता है | भाषण आदि कला में भी वाक शक्ति प्रबल होती है | छह मुखी रुद्राक्ष के साथ यदि दाई और बाई ओर एक एक पांच मुखी का रुद्राक्ष भी धारण किया जाए तो अति उत्तम होता है | भगवान कार्तिके की विशेष कृपा प्राप्त होती है और सांसारिक दुखों से लड़ने की क्षमता प्रदान करके जीवन के स्तर को अति उत्तम बनाता है | बचपन में जिन बालकों की बुद्धि अधिक तीव्र नहीं होती या परीक्षा के समय में बालक को चिंता होती है, ऐसे बालकों को दो पांच मुखी के बीच में एक छह मुखी रुद्राक्ष धारण करने से परीक्षा में सफलता मिलती है इसलिए विशेष कर सभी बालकों को जो शिक्षा ग्रहण कर रहे हों, उन्हें ये रुद्राक्ष धारण करने चाहिए | छह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र छह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र “ॐ ह्रीं नमः” है | इस मंत्र से धारण करने के पश्चात् प्रतिदिन यदि पांच माला “ॐ नमः शिवाय” का जाप किया जाए तो अति उत्तम फल देखने को मिलता है |

सात मुखी रूद्राक्ष

रुद्राक्ष का भारतीय संस्कृति में बहुत महत्व है जिसे लेकर ऐसी मान्यता है कि इसकी उत्पत्ति भगवान शंकर की आँखों के जलबिंदु से हुई है। इसे धारण करने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। माना जाता है कि रुद्राक्ष इंसान को हर तरह की हानिकारक ऊर्जा से बचाता है। ऐसा भी माना जाता है कि रुद्राक्ष शिवजी का मनपसंद आभूषण है। कहते है की रुद्राक्ष के बिना शिवजी का श्रंगार ही अधूरा होता है। पद्म पुराण, देवी भागवत, रुद्राक्ष जबाला उपनिषद जैसे अनेक प्राचीन ग्रंथों में रुद्राक्ष की अति-अद्भुत एवं आश्चर्यजनक महत्ता का वर्णन किया गया है। रुद्राक्ष के मुखो की संख्या रुद्राक्ष की फलश्रुति निर्धारित करती है। वैसे तो 1 मुखी से 21 मुखी तक के सभी रुद्राक्ष लोकप्रिय है किन्तु 7 मुखी रुद्राक्ष आज के इस आधुनिक दौर में प्रत्येक मनुष्य के लिए अति आवश्यक है, इसलिए हम यहाँ पर 7 मुखी रुद्राक्ष के फायदों के बारे में आपको बताने जा रहे है। 7 मुखी रुद्राक्ष की अधिपति देवता है श्री महालक्ष्मी तथा इस रुद्राक्ष का शुक्र ग्रह पर अधिपत्य होता है (कुछ विद्वान इसका संबंध शनि से भी जोड़ते है जो सही नहीं है।) 7मुखी रुद्राक्ष धारण करने से धन-सम्पदा प्राप्त होती है। इस रुद्राक्ष को धारण करने वाले के ऐश्वर्य में लगातार वृद्धि होती है तथा गुप्तधन की प्राप्ति या अचानक धनलाभ हो सकता है। उन्नति के नए-नए अवसर तथा अल्प प्रयास में सभी ऐशो-आराम प्राप्त हो सकते है। जिन लोगों के माली हालात ठीक नहीं चल रहे हैं या जिनके पास अच्छी आय के बावजूद कोई बचत नहीं हो पाती वह सारे लोग 7 मुखी रुद्राक्ष जरूर धारण करें।

आठ मुखी रूद्राक्ष

भगवान शिव एवं माँ पारवती के प्रिय पुत्र विघनहारक भगवान गणेश जी आठ मुखी रुद्राक्ष के प्रधानदेवता माने गए हैं | आठ मुखी रुद्राक्ष भैरोदेव का स्वरुप माना गया है | आठ मुखी रुद्राक्ष के लाभ यह रुद्राक्ष के धारण करने से उच्च पद की प्राप्ति व् मन की एकाग्रता में सुधार होता है | यह रुद्राक्ष ऋद्धि सिद्धि दायक है | जीवन में जितनी भी मुश्किलें और विघन होते हैं उनको दूर करने में आठ मुखी रुद्राक्ष सहायक सिद्ध होता है | जिस प्रकार शास्त्र अनुसार सर्वप्रथम श्री गणेश भगवान की पूजा की जाती है उसी प्रकार इस रुद्राक्ष को भी निसंकोच व् बिना किसी जानकारी के भी धारण कर लेना चाहिए क्योंकि महाशिवपुराण के अनुसार आठ मुखी रुद्राक्ष बुद्धि, ज्ञान, धन, यश और उच्च पद की प्राप्ति में सहायक सिद्ध होता है | जो व्यापारी किसी भी प्रकार से नापतोल में बईमानी करते हैं शास्त्रानुसार वह व्यापारी पाप के भागी बनते हैं और जो व्यक्ति अपने जीवन में पर इस्त्री के संपर्क में रहते हैं वह भी पाप के भागी होते हैं | ग्रंथों के अनुसार एैसे पापियों को भी आठ मुखी रुद्राक्ष के धारण करने से पाप मुक्त होने में सहायता मिलती है | एैसा माना गया है की यह दोनों रुद्राक्षों को धारण करने वाले जातक को मृत्योपरांत शिवलोक की प्राप्ति होती है | आठ मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र इसको धारण करने का मंत्र भी “ॐ हूँ नमः” है | जैसा की सात मुखी के विवरण में हमने लिखा है कि आठ मुखी के साथ धारण करना चाहिए उसी प्रकार इस रुद्राक्ष को भी सात मुखी के साथ धारण करना चाहिए क्योंकि माँ लक्ष्मी और गणेश भगवान जी की पूजा साथ में करने का विधान है |

नौ मुखी रूद्राक्ष

महाशिवपुराण के अनुसार नौ मुखी रुद्राक्ष माँ भगवती की नौ शक्तियों का प्रतीक माना गया है | कपिलमुनि और भैरोदेव की कृपा भी इस रुद्राक्ष पर मानी गई है | नौ मुखी रुद्राक्ष के लाभ इसको धारण करने से धन सम्पत्ति, मान सम्मान, यश, कीर्ति और सभी प्रकार के सुखों की वृद्धि होती है | इस रुद्राक्ष को बाए हाथ में या कंठ में धारण करना चाहिए | यह रुद्राक्ष आखों की दृष्टि के लिए भी उपयोगी माना गया है | माँ भगवती की असीम अनुकम्पा नौ मुखी रुद्राक्ष पर होने से यह कवच का काम करता है और शरीर को मानसिक एवं भौतिक दुखों से बचाता है और धारक की कीर्ति सर्वत्र फैलाता है | नौ मुखी रुद्राक्ष धारण करने से धीरे धीरे मन शांत हो जाता है और लोगों के कल्याण की कामना करने लगता है | महाशिवपुराण के अनुसार देवी दुर्गा का स्वरुप होने के कारण से विशेष कर महिलाओं के लिए यह रुद्राक्ष अत्यंत उपयोगी है | इसके धारण से इच्छा शक्ति प्रबल होकर कई पापों का नाश होता है | देवी माँ की कृपा इस रुद्राक्ष पर होने से सभी देवताओं की कृपा भी इस रुद्राक्ष के धारक को मिलती है अतः हर पुरुष व् महिला को जो किसी भी रूप में देवी का पूजन करता हो उसे नौ मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए | इसके धारण से मानसिक रोग व् ह्रदय रोग में भी लाभ हो सकता है | इस रुद्राक्ष पर केतु का प्रभाव भी माना गया है | केतु ग्रह का नाम अचानक और अजीब सा फल देने के बारे में जाना जाता है इसलिए इस रुद्राक्ष के धारक को अचानक कई प्रकार के लाभ हो सकते हैं | नौ मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र इस रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र है “ॐ ह्रीं हूँ नमः” | देवी की उपासना करने वाले सभी जातकों को नौ मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए |

दस मुखी रूद्राक्ष

दस रुद्रों का आशीर्वाद होने के कारण से भूत प्रेत, डाकिनी शाकिनी, पिशाच व् ब्रह्म राक्षस जनित ऊपरी बाधाएं व् जादू टोने को दूर करने में सहायक होता है | क़ानूनी परेशानियों में भी दस मुखी रुद्राक्ष लाभदायक है | विष्णु जी का स्वरुप होने के कारण से धारक के प्रभाव को दसों दिशाओं में फैलता है | तंत्र मंत्र की साधना करने वाले साधकों के लिए यह रुद्राक्ष अति उत्तम माना गया है | इसको धारण करके साधना करने से सिद्धि में सहायता प्राप्त होती है | सर्प आदि के काटने के भय से बचाकर दस मुखी रुद्राक्ष पूर्ण आयु प्राप्त करवाने में सहायक सिद्ध होता है | ग्रह बाधा के कारण जिस जातक का भाग्य उदय ना हो रहा हो उसके लिए भी दस मुखी रुद्राक्ष धारण करना शुभ माना गया है | ग्रन्थों के अनुसार विष्णु जी की कृपा होने के कारण से इसके धारक को दमा, गठिया, शएतिका व् पेट और नेत्रों के रोग में लाभ हो सकता है | असाध्य रोगों से छुटकारा भी मिल सकता है ऐसा कई ग्रन्थों में वर्णित है इसलिए सभी को अपने कल्याण के लिए दस मुखी रुद्राक्ष को सोमवार के दिन शिवलिंग से स्पर्श कराके धारण करना चाहिए |

इस रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र है “ॐ ह्रीं नमः” | इस रुद्राक्ष को धारण करके ऊपर लिखे मंत्र की या “ॐ नमः शिवाय” की पांच माला जाप करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है |

ग्यारहवें मुखी रूद्राक्ष

महाशिवपुराण के अनुसार इस रुद्राक्ष को शिखा में बांधना चाहिए या गले में धारण करना चाहिए | इसको धारण करने से और इसके ऊपर मन्त्रों के जाप करने से धीरे धीरे अश्व्मेघ यज्ञ का फल भी प्राप्त हो सकता है | व्यापारियों के लिए ग्यारह मुखी रुद्राक्ष अति उत्तम फल प्रदान करने वाला माना गया है | भाग्य वृद्धि और धन सम्पत्ति व् मान सम्मान की प्राप्ति के लिए इसे अवश्य धारण करना चाहिए | साक्षात एकादस रूद्र रूप होने से यह जातक को रोग मुक्त करने में भी सहायक होता है और धार्मिक अनुष्ठान, पूजा पाठ में भी उत्तम फल प्रदान करने वाला होता है | राजनीति, कूटनीति व् हर प्रकार के क्षेत्र में ग्यारह मुखी रुद्राक्ष का धारक सर्वत्र विजय होता है | यह एक सफल एवं उत्तम रुद्राक्ष माना गया है इसलिए हनुमान जी की उपासना करने वाले एवं व्यापार करने वाले हर व्यक्ति को इस रुद्राक्ष को अवश्य धारण करना चाहिए |

इस रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र “ॐ ह्रीं हूं नमः” है | इसको धारण करने के पश्चात नित्य प्रति पांच माला “ॐ नमः शिवाय” या तीन माला ऊपर लिखे हुए मंत्र की या एक माला मृत्युंजय मंत्र की जाप करनी चाहिए ताकि भगवान शिव के ग्यारह रुद्रों सहित मर्यादा पुरषोत्तम प्रभु श्री राम जी के अनन्य भक्त श्री हनुमान जी की भी कृपा प्राप्त की जा सके | पांच मुखी रुद्राक्ष की माला में ग्यारह मुखी रुद्राक्ष को सुमेरु के रूप में लगाकर धारण करना अति उत्तम कहा गया है |

बारह मुखी रूद्राक्ष

बारह मुखी रुद्राक्ष भगवान महाविष्णु का स्वरुप माना गया है | बारह आदित्यों का तेज इस रुद्राक्ष में सम्माहित है इसलिए भगवान सूर्य देव की विशेष कृपा का भी पात्र है यह रुद्राक्ष |

बारह मुखी रुद्राक्ष के लाभ इसको धारण करने मात्र से असाध्य व भयानक रोगों से मुक्ति मिलती है | ह्रदय रोग, उदार रोग व मस्तिष्क से सम्बन्धित रोगों में इस रुद्राक्ष को धारण करने से लाभ हो सकता है ऐसा कई ग्रन्थों में लिखा मिलता है | बारह मुखी रुद्राक्ष को कंठ में या कान के कुण्डल में धारण करने से भगवान विष्णु व सूर्य देव दोनों ही अति प्रसन्न होते हैं | इस रुद्राक्ष को द्वादश आदित्यों की कृपा प्राप्त होने से अश्वमेघ यज्ञ सहित कई यज्ञों का फल प्राप्त होता है | बारह मुखी रुद्राक्ष धारण करने से तन और मन स्वस्थ होते हैं और एक विशेष प्रकार की शक्ति उत्पन्न होती है | राजनीति व सरकारी क्षेत्रों में काम करने वाले जातकों के लिए बारह मुखी रुद्राक्ष अति उत्तम माना गया है | गोवध करने वाले पापी व रत्नों की चोरी करने जैसे महापाप में भी इस रुद्राक्ष के धारण करने से भगवान सूर्य की कृपा प्राप्त होती है और पापों से व्यक्ति मुक्त हो जाता है एैसा हमारे ग्रन्थों में कहा गया है | यह रुद्राक्ष क्षत्रुओं का नाश करके व्याधियों का नाश करके सूर्य आदि ग्रहों के कमज़ोर प्रभाव को नष्ट करके सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति करवाता है इसलिए इस रुद्राक्ष को सभी को धारण करना चाहिए | बारह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र इस रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र “ॐ क्रोम श्रोम रोम नमः” है | इस मंत्र की तीन माला या “ॐ नमः शिवाय” मंत्र की पांच माला या मृत्युंजय मंत्र की एक माला नित्य प्रति करने से समस्त प्रकार के रोगों से व समस्याओं से मुक्ति प्राप्त की जा सकती है और लाभान्वित हुआ जा सकता है अतः सभी को भगवान सूर्य और भगवान विष्णु के स्वरुप रूपी बारह मुखी रुद्राक्ष को धारण करना चाहिए |

गणेश रूद्राक्ष

गणेश रुद्राक्ष के लाभ गणेश रुद्राक्ष को धारण करने से सभी तरह के क्‍लेशों से मुक्‍ति मिलती है। विशेष फलदायी यह रुद्राक्ष कई समस्याओं का समाधान स्वत: ही कर देता है। गणेश रूद्राक्ष पहने हुए एक व्यक्ति को जीवन के सभी क्षेत्रों में से सफलता प्राप्त होती है। भगवान गणेश भगवान शिव के पुत्र हैं इसलिए भगवान शिव का और देवी पार्वती (महा देवी) जी का भी आशिर्वाद प्राप्त होता है। गणेश रुद्राक्ष को धारण करने से केतु के अशुभ प्रभावों से भी मुक्‍ति मिलती है। गणेश रुद्राक्ष की प्रयोग विधि इसे गणेश चतुर्थी के दिन धारण किया जाए तो यह और भी शुभ फलदायक होता है। गणेश रुद्राक्ष को सोमवार के दिन धारण करना चाहिए।

गौरी शंकर रूद्राक्ष

गौरी शंकर रुद्राक्ष प्राकतिक रूप से जुड़े दो रुद्राक्षों को गौरी – शंकर रुद्राक्ष कहा जाता है ! गौरी शंकर रुद्राक्ष माता पार्वती एवं भगवान शिव का स्वरुप माना जाता है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट होता है कि यह रुद्राक्ष शिव पार्वती जी की एक अदभुत संगम का रुप है। इसे धारण करने से सभी प्रकार के दांपत्य सुखों की प्राप्ति होती है। जीवन साथी रुप में यह रुद्राक्ष पति -पत्नी के रिश्ते को प्रगाढ़ बनाता है तथा उनमें एकात्म का भाव जागृत करता है. दांपत्य सुख एव्म शांति के लिए गौरी शंकर रुद्राक्ष को सर्वश्रेष्ट माना जाता है। यह अंतर्दृष्टि को विकसित करने के लिए उपयोगी है, हमारे स्वयं की कमी को पहचानने में तथा अपनी कमियों को दूर करने में मदद करता है।

गौरी शंकर रुद्राक्ष के लाभ गौरी शंकर रुद्राक्ष रुद्राक्ष को उपयोग में लाने से भगवान शिव और माता पार्वती जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है तथा यह मोक्ष प्राप्ति में भी लाभदायी है। गौरी शंकर रुद्राक्ष रुद्राक्ष को तिजोरी में रखें किसी भी प्रकार की कोई आर्थिक क्षति नहीं होगी, आप उन्नति प्राप्त कर सकेंगे, यह रुद्राक्ष पूजा घर में रखना अत्यंत उत्तम होता है. गौरी शंकर रूद्राक्ष बुरे सपनों एवं बुरी ताक़तों से मुक्त करता है। जिनके विवाह में अनावश्यक विलम्ब हो रहा हो, उन्हें इस रुद्राक्ष को अवश्य धारण करना चाहिए। गौरीशंकर रूद्राक्ष पहनने से रिश्तों में मज़बूती आती है, यह परिवार के रिश्तों को बढ़ाता है। उन सभी के लिए जो एक सुखी विवाहित जीवन और परिवार में सुख और शांति का वास चाहते हैं उन सभी के लिए यह अमूल्य रुद्राक्ष है। गौरी शंकर रुद्राक्ष का मंत्र ॐ गौरीशंकराय नमः ,