ज्योतिष

ज्योतिष

पंडित विजय कुमार

ज्योतिष की पारंपरिक हिंदू प्रणाली, भी हिंदू ज्योतिष, भारतीय ज्योतिष,हाल ही में वैदिक ज्योतिष के रूप में जाना जाता है।

ज्योतिष वेदों में से एक शाखा है। वैदिक भारतीय संस्कृति का एक सार्वभौमिक आध्यात्मिकता का स्रोत हैं।

विज्ञान के इस युग में भी ज्योतिष (Jyotish) की अपनी अलग पहचान कायम है। भारतीय ज्योतिष शास्त्र (Jyotish Shastra) को विश्व के कुछ बेहद प्राचीन और विस्तृत ज्योतिष शास्त्रों में से एक माना जाता है। ज्योतिष विद्या ग्रह तथा नक्षत्रों से संबंध रखने वाली मानी जाती है। भारतीय ज्योतिषशास्त्र का वर्णन प्राचीन वेदों और पुराणों में भी मिलता है। नारदपुराण में ज्योतिष की कई शाखाओं का वर्णन है। नारदपुराण के अलावा पद्मपुराण, अग्निपुराण, भविष्यपुराण आदि में भी ज्योतिष की विभिन्न शाखाओं का वर्णन है।


अंतरिक्ष में किसी विशेष क्षण में कुंडली आकाशीय पिंडों और ग्रहों का एक स्नैपशाट है। जन्म कुंडली या होरोस्काप के रूप में लोकप्रिय रूप से जाना जाने वाला एक ज्योतिषीय चार्ट है, जो जन्मदिन, जन्मस्थान और जन्म समय के आधार पर बना है। यह चार्ट विभिन्न लक्षण, ग्रह, सूर्य और चंद्रमा के स्थान को बताता है और निर्धारित करता है। जन्म कुंडली में ज्योतिषीय पहलुओं और नवजात शिशु की महत्वपूर्ण जानकारी का भी पता चलता है। कुंडली बनाना एक ज्योतिषी का व्यवसाय है और जन्म कुंडली तैयार करना कोई आसान काम नहीं है। एक ज्योतिषी जन्म के बढ़ते और चढ़ाई की स्थिति की गणना करने के लिए स्थानीय समय और जन्म स्थान के माध्यम से कुंडली को निर्धारित करता है। जन्म कुंडली एक व्यक्ति के व्यक्तित्व, वर्तमान और भविष्य की जानकारी प्रदान करती है। कुंडली के माध्यम से एक व्यक्ति आसानी से अच्छे समय और बुरे समय को जान सकता है और उस तरह से कार्य कर सकता है।

कुंडली सॉफ्टवेयर बनाने का उद्देश्य भारत में यह परंपरा है कि जब किसी बच्चे का जन्म होता है तो उसके परिजन ज्योतिषी के पास जाकर उसकी तात्कालिक कुंडली बनवाते हैं जिसे टेवा कहते हैं। यदि कुंडली बनाते समय जन्मपत्री में कोई दोष (जैसे मूल दोष, बालारिष्ठ आदि) निकल आता है तो फिर उसके लिए कोई निश्चित उपाय किया जाता है। फिर बाद में इस लघु कुंडली को आधार मानकर विस्तृत कुंडली बनायी जाती है। इसमें जातक के भविष्यकथन, षोडश वर्ग एवं दोष आदि की विस्तृत गणना की जाती है।

कुंडली बनाने के लाभ जीवन में कुण्डली सफलता का मार्ग प्रशस्त करती है। इसके द्वारा आप अपनी वास्तविक क्षमताओं को पहचान पाते हैं जन्म कुंडली से आप अपनी रुचिकर क्षेत्र को बेहतर तरीके से जान पाते हैं इसलिए इस दिशा में आप सही निर्णय लेते में सक्षम होते हैं कुंडली मिलान के द्वारा आप अपने ऐसे जीवनसाथी को पा सकते हैं जो आपके लिए अनुकूल हो जन्मपत्रिका से आप अपने मंगल दोष, नाड़ी दोष, भकूट दोष या अन्य दोषों के बारे में भी जान सकते हैं कुंडली के द्वारा आप अपनी शारीरिक पीड़ा, रोग आदि के बारे में जान सकते हैं कुंडली के द्वारा आप अपनी प्रकृति को जानकर उसी के अनुसार भोजन ग्रहण कर सकते हैं कुण्डली आपको सही करियर, व्यवसाय, नौकरी को चुनने में मदद करती है कुंडली के द्वारा आप शिक्षा क्षेत्र में सही निर्णय लेते हैं कुंडली के द्वारा आप अपनी समस्याओं का भी समाधान जान सकते हैं कुण्डली के द्वारा आप स्वयं का अच्छी तरह से आंकलन कर सकते हैं कुंडली की सहायता से आप अपने अच्छे बुरे के बारे में जान सकते हैं जन्मपत्रिका के माध्यम से आत्मज्ञान को प्राप्त करना संभव है

अल्पायु योग कुंडली में चंद्र पाप ग्रहों से युक्त होकर त्रिक स्थानों में बैठा हो या लग्नेश पर पाप ग्रहों की दृष्टि हो और वह शक्तिहीन हो तो अल्पायु योग का निर्माण होता है। जिस कुंडली में यह योग होता है उस व्यक्ति के जीवन पर हमेशा संकट मंडराता रहता है। उसकी आयु कम होती है। कुंडली में बने अल्पायु योग की निवृत्ति के लिए महामृत्युंजय मंत्र की एक माला रोज जपें। बुरे कार्यों से दूर रहें। दान-पुण्य करते रहें।

भाव नाश योग जन्मकुंडली जब किसी भाव का स्वामी त्रिक स्थान यानी छठे, आठवें और 12वें भाव में बैठा हो तो उस भाव के सारे प्रभाव नष्ट हो जाते हैं। उदाहरण के लिए यदि धन स्थान की राशि मेष है और इसका स्वामी मंगल छठे, आठवें या 12वें भाव में हो तो धन स्थान के प्रभाव समाप्त हो जाते हैं। जिस ग्रह को लेकर भावनाशक योग बन रहा है उससे संबंधित वार को हनुमानजी की पूजा करें। उस ग्रह से संबधित रत्न धारण करके भाव का प्रभाव बढ़ाया जा सकता है।

षड्यंत्र योग यदि लग्नेश आठवें घर में बैठा हो और उसके साथ कोई शुभ ग्रह न हो तो षड्यंत्र योग का निर्माण होता है। यह योग अत्यंत खराब माना जाता है। जिस स्त्री-पुरुष की कुंडली में यह योग हो वह अपने किसी करीबी के षड्यंत्र का शिकार होता है। धोखे से उसका धन-संपत्ति छीनी जा सकती है। विपरीत लिंगी व्यक्ति इन्हें किसी मुसीबत में फंसा सकते हैं। इस दोष की निवृत्ति के लिए शिव परिवार का पूजन करें। सोमवार को शिवलिंग पर सफेद आंकड़े का पुष्प और सात बिल्व पत्र चढ़ाएं। शिवजी को दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं।

चांडाल योग कुंडली के किसी भी भाव में बृहस्पति के साथ राहु का उपस्थित होना चांडाल योग का निर्माण करता है। इसे गुरु चांडाल योग भी कहते हैं। इस योग का सर्वाधिक प्रभाव शिक्षा और धन पर होता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में चांडाल योग होता है वह शिक्षा के क्षेत्र में असफल होता है और कर्ज में डूबा रहता है। चांडाल योग का प्रभाव प्रकृति और पर्यावरण पर भी पड़ता है। चांडाल योग की निवृत्ति के लिए गुरुवार को पीली दालों का दान किसी जरूरतमंद को करें। पीली मिठाई का भोग गणेशजी को लगाएं। स्वयं संभव हो तो गुरुवार का व्रत करें। एक समय भोजन करें और भोजन में पहली वस्तु बेसन की उपयोग करें।

ग्रहण योग कुंडली के किसी भी भाव में चंद्र के साथ राहु या केतु बैठे हों तो ग्रहण योग बनता है। यदि इन ग्रह स्थिति में सूर्य भी जुड़ जाए तो व्यक्ति की मानसिक स्थिति अत्यंत खराब रहती है। उसका मस्तिष्क स्थिर नहीं रहता। कार्य में बार-बार बदलाव होता है। बार-बार नौकरी और शहर बदलना पड़ता है। कई बार देखा गया है कि ऐसे व्यक्ति को पागलपन के दौरे तक पड़ सकते हैं। ग्रहण योग का प्रभाव कम करने के लिए सूर्य और चंद्र की आराधना लाभ देती है। आदित्यहृदय स्तोत्र का नियमित पाठ करें। सूर्य को जल चढ़ाएं। शुक्ल पक्ष के चंद्रमा के नियमित दर्शन करें।

बुधादित्य योग सूर्य आत्मा का कारक ग्रह है। ज्योतिष शास्त्र में तो सूर्य ही सबसे प्रधान ग्रह है। चराचर जगत में सूर्य का ही प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। सूर्य पाप ग्रह न होकर क्रूर ग्रह है। क्रूर एवं पापी में बड़ा अंतर होता है। > क्रूर तो शुभ-अशुभ सभी कार्यों में रूखापन दिखाते हुए लक्ष्य में पवित्रता बनाए रखता है लेकिन पापी भाव अच्‍छा नहीं माना जाता है। बुध ग्रह सूर्य के सबसे निकट है और इसीलिए उसका पुरुषत्व समाप्त हो गया। लेकिन बुध भी अपना प्रभाव अन्य ग्रहों के सान्निध्य की अपेक्षा सूर्य के साथ होने पर विशेष प्रदान करता है। जन्मांग चक्र में प्राय: 70 प्रतिशत संभावना सूर्य, बुध के एक साथ बने रहने की ही होती है। बुधादित्य नाम से विख्यात यह योग अलग-अलग भावों में अतिविशिष्ट फल प्रदान करने वाला होता है।

कुंडली में नौवें और दसवें स्थान का बड़ा महत्त्व होता है।जन्म कुंडली में नौवां स्थान भाग्य का और दसवां कर्म का स्थान होता है। कोई भी व्यक्ति इन दोनों घरों की वजह से ही सबसे ज्यादा सुख और समृधि प्राप्त करता है। कर्म से ही भाग्य का निर्माण होता है और अच्छा भाग्य, अच्छे कार्य व्यक्ति से करवाता है।अगर जन्म कुंडली के नौवें या दसवें घर में सही ग्रह मौजूद रहते हैं तो उन परिस्थितियों में राजयोग का निर्माण होता है। राज योग एक ऐसा योग होता है जो प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष राजा के समान सुख प्रदान करता है। इस योग को प्राप्त करने वाला व्यक्ति सभी प्रकार की सुख-सुविधाओं को प्राप्त करने वाला होता है। ज्योतिष की दुनिया में जिन व्यक्तियों की कुण्डली में राजयोग निर्मित होता है, वे उच्च स्तरीय राजनेता, मंत्री, किसी राजनीतिक दल के प्रमुखया कला और व्यवसाय में खूब मान-सम्मान प्राप्त करते हैं।राजयोग का आंकलन करने के लिए जन्म कुंडली में लग्न को आधार बनाया जाता है। कुंडली की लग्न में सही ग्रह मौजूद होते हैं तो राजयोग का निर्माण होता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में राजयोग रहता है उस व्यक्ति को हर प्रकार की सुख-सुविधा और लाभ भी प्राप्त होते हैं। इस लेख के माघ्यम से आइए जानें कि कुण्डली में राजयोग का निर्माण कैसे होता है- मेष लग्न- मेष लग्न में मंगल और ब्रहस्पति अगर कुंडली के नौवें या दसवें भाव में विराजमान होते हैं तो यह राजयोग कारक बन जाता है। वृष लग्न- वृष लग्न में शुक्र और शनि अगर नौवें या दसवें स्थान पर विराजमान होते हैं तो यह राजयोग का निर्माण कर देते हैं।इस लग्न में शनि राजयोग के लिए अहम कारक बताया जाता है। मिथुन लग्न- मिथुन लग्न में अगर बुध या शनि कुंडली के नौवें या दसवें घर में एक साथ आ जाते हैं तो ऐसी कुंडली वाले जातक का जीवन राजाओं जैसा बन जाता है। कर्क लग्न- कर्क लग्न में अगर चंद्रमा और ब्रहस्पति भाग्य या कर्म के स्थान पर मौजूद होते हैं तो यह केंद्र त्रिकोंण राज योग बना देते हैं। इस लग्न वालों के लिए ब्रहस्पति और चन्द्रमा बेहद शुभ ग्रह भी बताये जाते हैं। सिंह लग्न- सिंह लग्न के जातकों की कुंडली में अगर सूर्य और मंगल दसमं या भाग्य स्थान में बैठ जाते हैं तो जातक के जीवन में राज योग कारक का निर्माण हो जाता है। कन्या लग्न- कन्या लग्न में बुध और शुक्र अगर भाग्य स्थान या दसमं भाव में एक साथ आ जाते हैं तो जीवन राजाओं जैसा हो जाता है। तुला लग्न- तुला लग्न वालों का भी शुक्र या बुध अगर कुंडली के नौवें या दसवें स्थान पर एक साथ विराजमान हो जाता है तो इस ग्रहों का शुभ असर जातक को राजयोग के रूप में प्राप्त होने लगता है। वृश्चिक लग्न- वृश्चिक लग्न में सूर्य और मंगल, भाग्य स्थान या कर्म स्थान (नौवें या दसवें) भाव में एक साथ आ जाते हैं तो ऐसी कुंडली वाले का जीवन राजाओं जैसा हो जाता है। यहाँ एक बात और ध्यान देने वाली है कि अगर मंगल और चंद्रमा भी भाग्य या कर्म स्थान पर आ जायें तो यह शुभ रहता है। धनु लग्न- धनु लग्न के जातकों की कुंडली में राजयोग के कारक, ब्रहस्पति और सूर्य माने जाते हैं। यह दोनों ग्रह अगरनौवें या दसवें घर में एक साथ बैठ जायें तो यह राजयोग कारक बन जाता है। मकर लग्न- मकर लग्न वाली की कुंडली में अगर शनि और बुध की युति, भाग्य या कर्म स्थान पर मौजूद होती है तो राजयोग बन जाता है। कुंभ लग्न- कुंभ लग्न वालों का अगर शुक्र और शनि नौवें या दसवें स्थान पर एक साथ आ जाते हैं तो जीवन राजाओं जैसा हो जाता है। मीन लग्न- मीन लग्न वालों का अगर ब्रहस्पति और मंगल जन्म कुंडली के नवें या दसमं स्थान पर एक साथ विराजमान हो जाते हैं तो यह राज योग बना देते हैं।

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कुण्डली या कुंडली मिलान एक व्यक्ति यानी शादी के एक बहुत महत्वपूर्ण है। एक ईमानदार जीवन साथी के लिए खोज कुंडली ठीक से मिलान के बिना पूरा नहीं हो सकता । इस मिलान भी भावी दूल्हे और दुल्हन की संगतता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है। यह दो आराध्य मनुष्यों के लिए एक खुश और समृद्ध भविष्य जीवन का पता लगाने के लिए प्रारंभिक कदम है।

हमारी हिन्दू संस्कृति शादी को बहुत महत्व देती है और हमारे आध्यात्मिक ग्रंथों ने कुण्डली मिलान को सुखद शादीशुदा जीवन का सही मार्ग माना है। ज्योतिष इस पवित्रता को बनाये रखने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कुण्डली मिलान से शादी की दीर्घायु जानने में मदद मिलती है यह ‘कुटा प्रणाली’ द्वारा किया जाता है। ‘कुटा’ प्रणाली हमें शादी की अनुकूलता व जोड़ी के बारे में बताता है। यह युगल की शारिरिक, भावनात्मक व आध्यात्मिक अनुकूलता के बारे में भी बताता है। यह साधन हमें रिश्ते की स्थिरता व दीर्घायु के बारे में बताता है। एक साधारण अनुकूलता विभिन्न स्थितियों का विस्तार नहीं करती परंतु विस्तृत कुण्डली मिलान से आप गहराई से जानकारी पा सकते हैं।

गुण मिलान कुण्डली मिलान में सबसे पहला कार्य है। इसमें कुल 36 गुण होते हैं यदि इनमें से 18 गुण मिलते हैं तो यह बुनियादी आवश्यकताओं को पूर्ण करते है। यह 18 गुण मानसिक स्थिति, मांगलिक दोष, शादी का स्थायीत्व, एक दूसरे के विपरीत की प्रवृति, बच्चे, स्वास्थय व संतोष से संबंधित होते हैं। हमारे प्राचीन ऋषियों ने अपनी दिव्य दृष्टि, ज्ञान, विस्तृत अध्ययन व प्रामाणिकता का उपयोग कर समाज के लिए कई तरह के नियम बनाये हैं। इन नियमों को जानने से बच्चों की शादी की चिंता कम हो सकती है व उनका भविष्य सुरक्षित हो सकता है। हालांकि आधुनिक समय में उपेक्षित होने के बाद भी पूर्ण रूप से शोध की गई राशिफल व कुण्डली मिलान से आप युगल के रिश्ते व वैवाहिक संबंधों की विस्तृत जानकारी देख सकते हैं।

कुंडली मिलान शादी की रिपोर्ट

दर्ज लड़का विवरण: -

दर्ज लड़की विवरण:-

जिस जातक की जन्म कुंडली, लग्न/चंद्र कुंडली आदि में मंगल ग्रह, लग्न से लग्न में (प्रथम), चतुर्थ, सप्तम, अष्टम तथा द्वादश भावों में से कहीं भी स्थित हो, तो उसे मांगलिक कहते हैं। गोलिया मंगल 'पगड़ी मंगल' तथा चुनड़ी मंगल : जिस जातक की जन्म कुंडली में 1, 4, 7, 8, 12वें भाव में कहीं पर भी मंगल स्थित हो उसके साथ शनि, सूर्य, राहु पाप ग्रह बैठे हों तो व पुरुष गोलिया मंगल, स्त्री जातक चुनड़ी मंगल हो जाती है अर्थात द्विगुणी मंगली इसी को माना जाता है। मांगलिक कुंडली का मिलान : वर, कन्या दोनों की कुंडली ही मांगलिक हों तो विवाह शुभ और दाम्पत्य जीवन आनंदमय रहता है। एक सादी एवं एक कुंडली मांगलिक नहीं होना चाहिए। मंगल-दोष निवारण : मांगलिक कुंडली के सामने मंगल वाले स्थान को छोड़कर दूसरे स्थानों में पाप ग्रह हों तो दोष भंग हो जाता है। उसे फिर मंगली दोष रहित माना जाता है तथा केंद्र में चंद्रमा 1, 4, 7, 10वें भाव में हो तो मंगली दोष दूर हो जाता है। शुभ ग्रह एक भी यदि केंद्र में हो तो सर्वारिष्ट भंग योग बना देता है। शास्त्रकारों का मत ही इसका निर्णय करता है कि जहां तक हो मांगलिक से मांगलिक का संबंध करें। ‍िफर भी मांगलिक एवं अमांगलिक पत्रिका हो, दोनों परिवार पूर्ण संतुष्ट हों अपने पारिवारिक संबंध के कारण तो भी यह संबंध श्रेष्ठ नहीं है, ऐसा नहीं करना चाहिए। ऐसे में अन्य कई कुयोग हैं। जैसे वैधव्य विषागना आदि दोषों को दूर रखें। यदि ऐसी स्थिति हो तो 'पीपल' विवाह, कुंभ विवाह, सालिगराम विवाह तथा मंगल यंत्र का पूजन आदि कराके कन्या का संबंध अच्छे ग्रह योग वाले वर के साथ करें। मंगल यंत्र विशेष परिस्थिति में ही प्रयोग करें। देरी से विवाह, संतान उत्पन्न की समस्या, तलाक, दाम्पत्य सुख में कमी एवं कोर्ट केस इत्या‍दि में ही इसे प्रयोग करें। छोटे कार्य के लिए नहीं।

कुंडली में सात ग्रह सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि जब राहू और केतु के बीच स्थित होते है तो कुंडली में कालसर्प दोष का निर्माण होता है! मान लो यदि कुंडली के पहले घर में राहू स्थित है और सातवे घर में केतु तो बाकी के सभी ग्रह पहले से सातवे अथवा सातवे से पहले घर के बीच होने चाहिए! यहाँ पर ध्यान देने योग्य बात यह है की सभी ग्रहों की डिग्री राहू और केतु की डिग्री के बीच स्थित होनी चाहिए, यदि कोई ग्रह की डिग्री राहू और केतु की डिग्री से बाहर आती है तो पूर्ण कालसर्प योग स्थापित नहीं होगा, इस स्थिति को आंशिक कालसर्प कहेंगे ! कुंडली में बनने वाला कालसर्प कितना दोष पूर्ण है यह राहू और केतु की अशुभता पर निर्भर करेगा !

मानव जीवन पर कालसर्प दोष का प्रभाव सामान्यता कालसर्प योग जातक के जीवन में संघर्ष ले कर आता है ! इस योग के कुंडली में स्थित होने से जातक जीवन भर अनेक प्रकार की कठिनाइयों से जूझता रहता है ! और उसे सफलता उसके अंतिम जीवन में प्राप्त हो पाती है, जातक को जीवन भर घर, बहार, काम काज, स्वास्थ्य, परिवार, विवाह, कामयाबी, नोकरी, व्यवसाय आदि की परेशानियों से सामना करना पड़ता है ! बैठे बिठाये बिना किसी मतलब की मुसीबते जातक को जीवन भर परेशान करती है !

कालसर्प दोष के प्रकार प्राचीन ज्योतिष ग्रंथों में 12 प्रकार के कालसर्प योगों का वर्णन किया गया है- 1-अनन्त 2-कुलिक 3-वासुकि 4-शंखपाल 5-पद्म 6-महापद्म 7-तक्षक 8-कर्कोटिक 9-शंखचूड़ 10-घातक 11- विषाक्तर 12-शेषनाग।

अनंत कालसर्प योग अगर राहु लग्न में बैठा है और केतु सप्तम में और बाकी ग्रह इन दोनों ग्रहों के बीच में तो कुंडली में अनंत कालसर्प दोष का निर्माण हो जाता है। अनंत कालसर्प योग के कारण जातक को जीवन भर मानसिक शांति नहीं मिलती। इस प्रकार के जातक का वैवाहिक जीवन भी परेशानियों से भरा रहता है। कुलिक कालसर्प योग अगर राहु कुंडली के दुसरे घर में, केतु अष्ठम में विराजमान है और बाकी ग्रह इन दोनों ग्रहों के बीच में है तब कुलिक कालसर्प योग का निर्माण होता है। इस योग के कारण व्यक्ति के जीवन में धन और स्वास्थ्य संबंधित परेशानियाँ उत्पन्न होती रहती हैं। वासुकि कालसर्प योग जन्मकुंडली के तीसरे भाव में राहु और नवम भाव में केतु विराजमान हो तथा बाकि ग्रह बीच में तो वासुकि कालसर्प योग का निर्माण होता है। इस प्रकार की कुंडली में बल और पराक्रम को लेकर समस्या उत्पन्न होती हैं। शंखपाल कालसर्प योग अगर राहु चौथे घर में और केतु दसवें घर में हो साथ ही साथ बाकी ग्रह इनके बीच में हों तो शंखपाल कालसर्प योग का निर्माण होता है। ऐसे व्यक्ति के पास प्रॉपर्टी, धन और मान-सम्मान संबंधित परेशानियाँ बनी रहती हैं। पद्म कालसर्प योग जब जन्मकुंडली के पांचवें भाव में राहु, ग्याहरहवें भाव में केतु और बीच में अन्य ग्रह हों तो पद्म कालसर्प योग का निर्माण होता है। ऐसे इंसान को शादी और धन संबंधित दिक्कतें परेशान करती हैं। महा पद्म कालसर्प योग अगर राहु किसी के छठे घर में और केतु बारहवें घर में विराजमान हो तथा बाकी ग्रह मध्य में तो तब महा पद्म कालसर्प योग का जन्म होता है। इस प्रकार के जातक के पास विदेश यात्रा और धन संबंधित सुख नहीं प्राप्त हो पाता है। तक्षक कालसर्प योग जब जन्मकुंडली के सातवें भाव में राहु और केतु लग्न में हो तो इनसे तक्षक कालसर्प योग बनता है। यह योग शादी में विलंब व वैवाहिक सुख में बाधा उत्पन्न करता है। कर्कोटक कालसर्प योग अगर राहु आठवें घर में और केतु दुसरे घर आ जाता है और बाकी ग्रह इनके बीच में हों तो कर्कोटक कालसर्प योग कुंडली में बन जाता है। ऐसी कुंडली वाले इंसान का धन स्थिर नहीं रहता है और गलत कार्यों में धन खर्च होता है। शंखनाद कालसर्प योग जब जन्मकुंडली के नवम भाव में राहु और तीसरे भाव में केतु हो और सारे ग्रह इनके मध्य हों तो इनसे बनने वाले योग को शंखनाद कालसर्प योग कहते है। यह दोष भाग्य में रूकावट, पराक्रम में रूकावट और बल को कम कर देता है। पातक कालसर्प योग इस स्थिति के लिए राहु दसंम में हो, केतु चौथे घर में और बाकी ग्रह इन दोनों ग्रहों के बीच में तब पातक कालसर्प योग का निर्माण होता है। ऐसा राहु काम में बाधा व सुख में भी कमी करने वाला बन जाता है। विषाक्तर कालसर्प योग जब जन्मकुंडली के ग्याहरहवें भाव में राहु और पांचवें भाव में केतु हो और सारे ग्रह इनके मध्य मे अटके हों तो इनसे बनने वाले योग को विषाक्तर कालसर्प योग कहते है। इस प्रकार की कुंडली में शादी, विद्या और वैवाहिक जीवन में परेशानियां बन जाती हैं। शेषनाग कालसर्प योग अगर राहु बारहवें घर में, केतु छठे में और बाकी ग्रह इनके बीच में हो तो शेषनाग कालसर्प योग का निर्माण होता है। ऐसा राहु स्वास्थ्य संबंधित दिक्कतें, और कोर्ट कचहरी जैसी समस्याएं उत्पन्न करता है।

नागपंचमी के दिन किए जाने वाले कुछ प्रयोग निम्नलिखित हैं जिनके करने से कालसर्प दोष शिथिल होता है- 1. नाग-नागिन का जोड़ा चांदी का बनवाकर पूजन कर जल में बहाएं। 2. नारियल पर ऐसा ही जोड़ा बनाकर मौली से लपेटकर जल में बहाएं। 3. सपेरे से नाग या जोड़ा पैसे देकर जंगल में स्वतंत्र करें। 4. किसी ऐसे शिव मंदिर में, जहां शिवजी पर नाग नहीं हों, वहां प्रतिष्ठा करवाकर नाग चढ़ाएं। 5. चंदन की लकड़ी के बने 7 मौली प्रत्येक बुधवार या शनिवार शिव मंदिर में चढ़ाएं। 6. शिवजी को चंदन तथा चंदन का इत्र चढ़ाएं तथा नित्य स्वयं लगाएं। 7. नागपंचमी को शिव मंदिर की सफाई, मरम्मत तथा पुताई करवाएं। 8. निम्न मंत्रों के जप-हवन करें या करवाएं। (अ) 'नागेन्द्र हाराय ॐ नम: शिवाय' (ब) 'ॐ नागदेवतायै नम:' या नागपंचमी मंत्र 'ॐ नागकुलाय विद्महे विषदन्ताय धीमहि तन्नौ सर्प प्रचोद्यात्।' (9) शिवजी को विजया, अर्क पुष्प, धतूर पुष्प, फल चढ़ाएं तथा दूध से रुद्राभिषेक करवाएं। (10) अपने वजन के बराबर कोयले पानी में बहाएं। (11) नित्य गौमूत्र से दांत साफ करें।

हिन्दू वैदिक विवाह हर व्यक्ति के जीवन जहां और आदमी और प्रतिबद्धता और विश्वास का एक जीवन भर के लिए एक महिला को प्रतिज्ञा ले में सबसे महत्वपूर्ण समारोह है। इस विशेष अवसर पर, हम भगवान और देवी से आशीर्वाद लेने के लिए सर्वशक्तिमान और आचरण विवाह अनुष्ठान धन्यवाद। हमारे शास्त्रों का मानना ​​था कि शादी एक साधन हमारे पूर्वजों का शुक्रिया अदा करना है और हमारे लिए परिवार के साथ-साथ आगे हमारे रिवाज और परंपराएं लेने के लिए। विवाह के 7 प्रतिबद्धताओं: - हमेशा परमात्मा याद है। हमेशा सहानुभूति, प्रेम और करुणा के साथ एक दूसरे का इलाज। सभी अच्छे कर्मों में एक दूसरे की मदद। शुद्ध और पुण्य ध्यान रखें। मजबूत और धर्मी हो। माता पिता, भाई, बहनों और परिवार के अन्य सदस्यों के लिए सद्भावना और स्नेह दिखाते हैं। इस तरीके से बच्चों है कि वे मन और शरीर में मजबूत कर रहे लाएँ। हमेशा स्वागत और सम्मान मेहमानों के।

सभी ग्रहों पहलू उन लोगों से 7 घर। उदाहरण के लिए, टा पहलुओं एससी में सूर्य। जीई पहलुओं Sg में मंगल ग्रह। Le पहलुओं अक में चंद्रमा। पाई पहलुओं Vi में बृहस्पति। सीपी पहलुओं Cn में शनि। ग्रह और ग्रह पहलुओं है कि घर से 7 घर का पता लगाएं।

इसके अलावा, मंगल, बृहस्पति और शनि विशेष पहलुओं है:

बृहस्पति उससे पहलुओं 5 वीं और 9 वीं घरों, 7 घर के अलावा।

मंगल ग्रह उससे पहलुओं 4 और 8 वीं घरों, 7 घर के अलावा।

शनि उससे पहलुओं 3 और 10 वीं घरों, 7 घर के अलावा।

दीवाली पर, अमावस्या के दिन के दौरान, भगवान गणेश और श्री लक्ष्मी की नव स्थापित मूर्तियों की पूजा की जाती। इसके अलावा लक्ष्मी-गणेश पूजा, कुबेर पूजा और बाहिया-खाता पूजा (बही-खाता पूजा) से भी किया जाता है। दीवाली पूजा के दिन, पूरा दिन तेजी से वांछनीय है। उपवास हो सकता है या तो Nirjal (निर्जल) यानी पानी या Phalahar बिना (फलाहार) यानी फल केवल या दूध केवल शरीर की क्षमता के आधार पर और व्यक्ति की होगी-शक्ति के साथ साथ।

घटस्थापना नवरात्रि के दौरान महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक है। यह नौ दिन उत्सव की शुरुआत के निशान। हमारे शास्त्रों में अच्छी तरह से नियमों और दिशा निर्देशों को परिभाषित किया है नवरात्रि की शुरुआत में समय की एक निश्चित अवधि के दौरान घटस्थापना प्रदर्शन करने के लिए। घटस्थापना देवी शक्ति के आह्वान और यह गलत समय क्या कर रही है, के रूप में हमारे शास्त्रों आगाह कर देना, देवी शक्ति के प्रकोप लाना हो सकता है। घटस्थापना अमावस्या और रात के समय के दौरान निषिद्ध है। घटस्थापना करने के लिए सबसे शुभ या शुभ समय दिन के पहले एक तिहाई है, जबकि प्रतिपदा प्रचलित रहा है। अगर कुछ कारणों की वजह से इस समय उपलब्ध नहीं है तो घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त के दौरान किया जा सकता है। यह घटस्थापना दौरान नक्षत्र चित्रा और वैधरिति योग से बचने की सलाह दी है, लेकिन उन निषिद्ध नहीं कर रहे हैं।

शांतिपथ, यह भी शांति पथ के रूप में लिखा, चाणक्यपुरी, नई दिल्ली, भारत के राजनयिक एन्क्लेव में मुख्य सड़क है। हिंदी भाषा में, जैसा कि इसके नाम "शांति रोड" का मतलब है। शांतिपथ इसके दोनों तरफ हरे परिदृश्य से घिरा हुआ है। भारत की राजधानी में विदेशी दूतावासों के अधिकांश इस सड़क पर स्थित हैं। [1] चाणक्यपुरी के राजनयिक एन्क्लेव 1950 में बनाया गया था, भारत के बाद कुछ साल स्वतंत्रता प्राप्त की। यह सड़क भारी पहरा है, लेकिन सार्वजनिक परिवहन के लिए खुला रहता है। [2] दूतावासों से कुछ / यहाँ स्थित उच्च आयोगों अफगानिस्तान, बेल्जियम, संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्रिटेन के हैं।

श्रवण, कार्तिक, मार्गशिर्ष और हिन्दू पंचांग के पौष के महीने देश के पूजन के लिए सबसे उपयुक्त समय है। यह पहले निर्माण कार्य शुरू होता है भूमि की पूजा करने के लिए आवश्यक है। के समय सावधानी बरतें पूजा. सोमवार और गुरुवार के लिए समय का चयन पूजा के लिए सबसे अच्छा दिन साबित होता है। एक भी अधिक मास, शून्य महीने, चांद्र मास से बचना चाहिए और सूर्यास्त भूमि पूजन समारोह वास्तु शास्त्र का कड़ाई से अनुरूपता में आयोजित किया जाता है। इस पूजा करने से, एक सकारात्मक ऊर्जा और प्राकृतिक साइट आसपास के तत्वों को खुश कर सकते हैं। एक सही समय वास्तु मुहूर्त, समय के अनुसार चुना जब वास्तु पुरुष अपनी पूरी ताकत में है।

राष्ट्रपति भवन (के बारे में इस ध्वनि उच्चारण (सहायता · जानकारी), "दाने-tra-पा-ti बीएचए वैन", राष्ट्रपति निवास "पहले" वायसराय हाउस ") राजपथ के पश्चिमी छोर पर स्थित राष्ट्रपति के आधिकारिक घर है । नई दिल्ली, भारत में यह केवल हवेली (340-कमरा मुख्य भवन) राष्ट्रपति के आधिकारिक निवास, हॉल, अतिथि कमरे और कार्यालय हैं कि का उल्लेख कर सकते, यह भी पूरे 130 हेक्टेयर (320 एकड़) के अध्यक्ष का उल्लेख कर सकते एस्टेट कि अतिरिक्त इसकी परिधि दीवारों के भीतर विशाल राष्ट्रपति उद्यान (मुगल गार्डन), बड़े खुली जगह, अंगरक्षक और स्टाफ, अस्तबल के आवासों, अन्य कार्यालयों और उपयोगिताएं शामिल हैं। क्षेत्र के संदर्भ में, यह किसी राज्य प्रमुख के सबसे बड़े घरों में से एक है दुनिया में।

बोहेमियन सजावट कला-अग्रणी जीवन शैली के लापरवाह और साहसी भावना को कैप्चर करता। यह अमीर पैटर्न और जीवंत रंग, विशेष रूप से लाल या बैंगनी टन के साथ उन लोगों की रचनात्मक आवेदन की सुविधा है। कुंजी ध्यान से एक उद्देश्यपूर्ण "गंदा" देखो पेश करने के लिए है।

देहाती डिजाइन गर्मी डिजाइन और वास्तु विवरण है कि लकड़ी बीम या पुन: दावा लकड़ी के फर्श के साथ सजी गुंबददार छत जैसी सुविधाओं के शामिल हो सकते हैं से नकल के साथ सड़क पर से सामान शामिल कर सकते हैं।

जर्जर ठाठ असबाब अक्सर या तो व्यथित हैं या इस तरह दिखाई देते हैं; पेंट प्राचीन शैली के खत्म हो जाता है। जर्जर ठाठ रंग पट्टियाँ सफेद, क्रीम और पेस्टल शामिल हैं। प्रकाश स्थिरता और दीवार के पर्दे शायद अलंकृत और जर्जर ठाठ डिजाइन की संज्ञा वाइब जारी रखने के लिए

के रूप में हॉलीवुड रीजेंसी, हॉलीवुड ग्लैमर एक डिजाइन शैली है कि शानदार, से शीर्ष पर और भव्य हो जाता है करने के लिए भेजा। यह एक नाटकीय डिजाइन शैली, एक गृहस्वामी को जो एक वक्तव्य प्राप्त है के लिए एकदम सही है। इस डिजाइन शैली आलीशान, मखमल असबाब, tufting और प्राचीन वस्तुओं सहित विक्टोरियन डिजाइन, में से कुछ सुविधाओं को शामिल कर सकते हैं। रंग पट्टियाँ विशेष रूप से बोल्ड-सोचते हैं बैंगनी, लाल और फ़िरोज़ा।

तटीय शैली भी Hamptons शैली करार दिया, प्रतिष्ठित अमेरिकी तट की ओर क्षेत्र के निवासी हैं। आम सुविधाओं प्रकाश, शांत तटस्थ ब्लूज़ और साग के साथ रखा रंगों के साथ हवादार रंग पट्टियाँ शामिल हैं। सामान अक्सर सफेद या बेज कर रहे हैं। कमरे में लकड़ी के तत्वों के शामिल कर सकते हैं और सामान अक्सर समुद्र से प्रेरित हैं। ब्लू और तकिए, बड़ी खिड़कियां, सफेद आलीशान सोफे के लिए सफेद धारीदार पैटर्न, और पेंट सफेद लकड़ी भी क्लासिक तटीय / हैम्पटन शैली के आम जुड़नार हैं

पूजा

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